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समय-सारणी तैयार करें और पालन करें:

 नियमित दिनचर्या आपके मष्तिक के बोझ को कम करती है। किसी भी  बड़े काम को पहले छोटे छोटे टुकड़ों में विभाजित करें और उसे एक एक करके सॉल्व करें।  यह तभी संभव है जब आप समय सारणी यानि टाइम टेबल बनायेगे और उसका पालन करेंगे। 

लगातार पढ़ाई ना करें :

पढ़ाई के बीच में   कुछ 1-2 घंटे में उठकर थोड़ा टहलें  पानी पियें ।  लम्बी गहरी साँस लें इससे शरीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ता है और थकान महसूस नहीं होती।  हरियाली या गमले  देख सकते है इससे शांति मिलती है और मष्तिष्क अच्छे से कार्य करता है।

हर विषय का रिवीजन करें :

आपने आज जो भी पढ़ा है उसका पहला रिवीजन 48 घंटे के अंदर तथा दूसरा रिवीजन 7 दिन बाद  करें फिर यह आपको लम्बे समय तक याद रहेगा   और कोशिश करें सभी का Monthly रिवीजन भी कर लें

1. 48  घंटे के अंदर  रिवीजन

2.  Weekly  रिवीजन

3. Monthly रिवीजन

Health पे ध्यान दें :

परीक्षा से पहले बेहतर स्वास्थ्य होना बहुत जरुरी है अगर आपकी पूरी तैयारी है और परीक्षा के वक्त आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो यह चिंताजनक बात होगी अतः स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें उचित समय पर खाना  , और पर्याप्त मात्रा में नींद  कम से कम छह घंटे सोना आवश्यक है।

प्राणायाम और ध्यान:

अपने शरीर के लिए से 20 से 30  मिनट अवश्य निकालें आसन एवं प्राणायाम करें  , आसन में आप सूर्य नमस्कार १० बार कर सकते है इससे लगभग सभी अंगों की कसरत हो जाती है  सूर्य नमस्कार के बारे में जानने के लिए |

मस्तिष्क  शांत रखें :

परीक्षा से पहले मष्तिष्क में कई विचार आते है , कैसा पेपर होगा अभी तो पूरा सिलेबस नहीं पढ़ पाया  , घरेलू एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं

यह विचार हमारी ऊर्जा का क्षय करते है इस ऊर्जा का हमें सदुपयोग करना होगा।  इसके लिए योग एवं मैडिटेशन  अवश्य करें जैसा की ऊपर बताया है।  सुबह नहाने  के बाद कम से कम  10 मिनट का ध्यान करें इससे चित्त शांत होता है और स्थिरता बढ़ती है।

वर्तमान में जियो:

हमेशा वर्तमान में जिए नॉर्मली हम लोग या तो भूतकाल मतलब पुरानी यादों में जीते है या फिर भविष्य में लेकिन याद रखना भविष्य को आप तभी जी सकते हो जब वह वर्तमान  बन जायेगा और पास्ट को आप बदल नहीं सकते तो चिंता करना व्यर्थ है।  पास्ट का सीख का वर्तमान में उपयोग करके हम भविष्य को सुधार सकते है लेकिन काम हमें वर्तमान में ही करना होगा। 

परीक्षा से भयभीत न हों :-

परीक्षा से बिलकुल भी भयभीत नहीं हो , यह सिर्फ एक एग्जाम है जिंदगी की परीक्षा नहीं  अपनी तैयारी पूरी रखें  तो आपका स्वयं आत्मविश्वास बढ़ेगा।   अगर हमने पढ़ाई  नहीं की और हम उम्मींद कर रहे है की  पास हो जाएँ तो  यह  उम्मींद ही आपकी स्ट्रेस का कारण बनेगी।  इसलिए अपनी पढ़ाई एवं स्वास्थ्य पर ध्यान दें सफलता खुद आपके पीछे आएगी लेकिन शर्त ये है ईमानदारी से काम करें।

परीक्षा के कुछ दिन पहले सिर्फ रिवीजन करें

परीक्षा से कुछ दिन पहले सिर्फ रिवीजन करना ही बेहतर है क्योंकि  आपका पढ़ा हुआ जल्दी Remind हो जायेगा अगर आप कोई ऐसा चैप्टर उठाते है जिसके बारे में आपने कभी नहीं पढ़ा तो यह आपकी चिंता बड़ा सकता है और आपको लगेगा की जो आपको याद है वो भी भूल रहे है।  इससे अच्छा ये कि जो पढ़ा है उसी का रिवीजन करें और मष्तिष्क शांत रखें इससे आपको जो आता है वो आप छोड़कर नहीं आएंगे।  कई बार हम इतने परेशान हो जाते है कि जो आता था वह भी छोड़कर आ गए,  इसलिए मष्तिष्क शांत रखें ।

Dopamine Study Planet की तरफ से सभी स्टूडेंट्स को परीक्षा एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएं

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काली मिर्च के लाभ | Kali Mirch Ke Labh In Hindi

Kali Mirch Ke Labh In Hindi

1. यदि आपका ब्लड प्रेशर लो रहता है, तो प्रतिदिन तीन दाने कालीमिर्च के साथ 21 दाने किशमिश का सेवन करे।

2 . जुकाम होने पर कालीमिर्च के चार-पांच दाने पीसकर एक कप दूध में पकाकर सुबह-शाम लेने से लाभ मिलता है।

3. एक चम्मच शहद में 2-3 बारीक कुटी हुई कालीमिर्च और एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर लेने से कफ में राहत मिलती है।

4. इससे शरीर की थकावट दूर होती है। कालीमिर्च से गले की खराश दूर होती है।

5. इससे रक्त संचार सुधरता है।यह दिमाग के लिए फायदेमंद होती है। गैस के कारण पेट फूलने पर कालीमिर्च असरदार होती है। इससे गैस दूर होती है।

6.  कालीमिर्च की चाय पीने से सर्दी-ज़ुकाम, खाँसी और वायरल इंफेक्शन में राहत मिलती है। कालीमिर्च पाचनक्रिया में सहायक होती है।

7. कालीमिर्च सभी प्रकार के संक्रमण में लाभ देती है।पित्ती उछलने पर १० कालीमिर्च को पिसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को आधा चम्मच घी में मिलाकर पीएं और इससे शरीर की मालिश करें।

पलकों की फुंसी:

आंखों की पलकों पर दर्द वाली फुंसी होने पर कालीमिर्च को पानी में घिसकर लेप करना चाहिए। इससे पलकों की फुंसी पककर फूटकर ठीक हो जाती है।

उसका लेप बनाकर सूजन वाले स्थान पर लगाने से सूजन दूर होती है

पुराना जुकाम:

कालीमिर्च 2 ग्राम को गुड़ और दही के साथ सेवन करें। इससे पीनस का रोग नष्ट हो जाता है।

भूख का लगना:

नींबू की शिकंजी में एक चुटकी भर कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से भूख खुलती है। इसका सेवन भोजन करने से आधे घंटे पहले करना चाहिए।

हिस्टीरिया:

हिस्टीरिया रोग से पीड़ित स्त्री को 1 ग्राम कालीमिर्च एवं 3 ग्राम मीठी बच को खट्टी दही में मिलाकर खाली पेट दिन में कम से कम 3 बार खाना चाहिए। इससे हिस्टीरिया रोग दूर होता है।

जी मिचलना:

यदि किसी रोगी का जी मिचला रहा हो तो उसे कालीमिर्च चबाना चाहिए। इससे मिचली के रोग में लाभ मिलता है।

गठिया (आमवात):

गठिया के रोगी को कालीमिर्च से प्राप्त तेल से मालिश करना चाहिए। इससे गठिया (आमवात) के रोग में लाभ मिलता है।

कालीमिर्च के तेल से गठिया या जोड़ों पर मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है।

International Tiger Day 2021 Whatsapp Status Messages Images Slogan

International Tiger Day Whatsapp Status Messages Images Slogan In Hindi

बाघ संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस मनाया जाता है। 2010 में रूस में सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में स्थापित; प्राथमिक लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है।

The theme of the International Tiger Day 2021 is  “Their Survival is in our hands”, around which the observation of this year will going to revolve.

Every year on 29th July, Global Tiger Day is celebrated to raise awareness for tiger conservation. Established back in 2010 at the Saint Petersburg Tiger Summit in Russia; the primary goal is to promote a global system for protecting the natural habitats of tigers and raise public awareness and support for tiger conservation issues.

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जंगल के बाघ बचाओं, प्रकृति को नष्ट होने से बचाओं.

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बचाने बाघ के प्राण हैं, ये दुनिया की शान हैं.

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बाघ वनों की शान है, इन्हें बचाना हमारा काम हैं.

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जब सुरक्षित होगा बाघ हमारा,
तब हर एक भारतीय को गर्व होगा।

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Killing tigers is the GREED not the NEED : SAVE TIGERS

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You must try with all your might to save the tigers, it’s only right!

World Nature Conservation Day 2021 |विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस

World Nature Conservation Day Whatsapp Status Messages Images Slogan In Hindi

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को मनाया जाता है। जाने क्यों महत्वपूर्ण है ये दिवस, जल, जंगल और जमींन के बिना जीवन संभव नहीं है

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य पृथ्वी के प्राकृतिक वातावरण से विलुप्त होते हुए जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों का संरक्षण करना है। और लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है। एक स्वस्थ समाज होने के लिए पर्यावरण का होना जरूरी है।

The Theme of the World Nature Conservation Day 2021 is ‘Forests and Livelihoods: Sustaining People and Planet‘, around the which the whole observation of this year will revolve.

World Nature Conservation Day Images:-

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अपने पर्यावरण को मिलकर स्वच्छ बनाएं, आओ सभी पेड़-पौधे लगाएं। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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जब प्रकृति को कोई काम करना होता है, तो वो एक महान आत्मा को जन्म देती है|

-Ralph Waldo Emerson विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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संरक्षण इंसानो और पृथ्वी के बीच एक सामंजस्य की स्थिति है।

– आल्डो लियोपोल्ड विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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अपने पर्यावरण को मिलकर स्वच्छ बनाएं, आओ सभी पेड़-पौधे लगाएं।विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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प्रकृति को कोई भी धोखा नहीं दे सकता| वो आपको कोई भी चीज तब तक नहीं देगी, जब तक आप उसके लिए संघर्ष करते हुए पूरी कीमत ना चुका देंगे| 

-Napoleon Hill विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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कोई आज छाया में बैठा है क्योंकि किसी ने बहुत पहले एक पेड़ लगाया था।

– वॉरेन बफेट विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

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जलवायु परिवर्तन एक भयानक समस्या है, और इसे पूरी तरह से हल करने की जरूरत है। यह एक बहुत बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की शुभकामनायें।

– बिल गेट्स

गीता के महत्वपूर्ण श्लोक | Geeta Ke Mahatvpurn Shlok In Hindi

Geeta Ke Mahatvpurn Shlok In Hindi

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)

ॐ नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः । न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः ।।

इस आत्मा को शस्त्र काट नहीं सकते, इसे अग्नि जला नहीं सकती और इसे जल गीला नहीं कर सकते, इसे हवा सुखा नहीं सकती ।

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

इस श्लोक का अर्थ है: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म ग्लानि यानी उसका लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं (श्रीकृष्ण) धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयम् की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।

परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥

इस श्लोक का अर्थ है: सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।

(तृतीय अध्याय, श्लोक 21)

यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।

स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥

इस श्लोक का अर्थ है: श्रेष्ठ पुरुष जो-जो आचरण यानी जो-जो काम करते हैं, दूसरे मनुष्य (आम इंसान) भी वैसा ही आचरण, वैसा ही काम करते हैं। वह (श्रेष्ठ पुरुष) जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाते हैं।

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 37)

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।

तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

इस श्लोक का अर्थ है: यदि तुम (अर्जुन) युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख को भोगोगे, इसलिए उठो, हे कौन्तेय (अर्जुन), और निश्चय करके युद्ध करो। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने वर्तमान कर्म के परिणाम की चर्चा की है, तात्पर्य यह कि वर्तमान कर्म से श्रेयस्कर और कुछ नहीं है।)

(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 39)

श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥

इस श्लोक का अर्थ है: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति (भगवत्प्राप्तिरूप परम शान्ति) को प्राप्त होते हैं।

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

इस श्लोक का अर्थ है: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं, इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो। (यह श्रीमद्भवद्गीता के सर्वाधिक महत्वपूर्ण श्लोकों में से एक है, जो कर्मयोग दर्शन का मूल आधार है।)

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥


इस श्लोक का अर्थ है: विषयों (वस्तुओं) के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है। (यहां भगवान श्रीकृष्ण ने विषयासक्ति के दुष्परिणाम के बारे में बताया है।)

(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:

स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

इस श्लोक का अर्थ है: क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है। स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।

(अठारहवां अध्याय, श्लोक 66)

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।

अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:

इस श्लोक का अर्थ है: (हे अर्जुन) सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं (श्रीकृष्ण) तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।

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मेरा कोई न सहारा बिन तेरे लिरिक्स

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे लिरिक्स

Mera Koi Na Sahara Bin Tere Lyrics in Hindi

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे,

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

तेरे बिना मेरा है कौन यहाँ,

प्रभु तुम्हे छोड़ मैं जाऊँ कहां,

मैं तो आन पड़ा हूँ दर तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

मैंने जनम लिया जग में आया,

तेरी कृपा से ये नर तन पाया,

तूने किये उपकार घनेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे,

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

मेरे नैना कब से तरस रहे,

सावन भादो है बरस रहे,

अब छाए घनघोर अँधेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

प्रभु आ जाओ प्रभु आ जाओ,

अब और ना मुझको तरसाओ,

काटो जनम मरण के फेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे,

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

जिस दिन से दुनिया में आया,

मैंने पल भर चैन नहीं पाया,

सहे कष्ट पे कष्ट घनेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

मेरा सच्चा मार्ग छूट गया,

मुझे पांच लुटेरों ने लूट लिया,

मैंने यतन किये बहुतेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे,

.

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

मेरे सारे सहारे छूट गए,

तुम भी गुरु मुझसे रूठ गए,

आओ करने दूर अँधेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

.

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे,

मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,

गुरुदेव सांवरिया मेरे ।

समझदारी शायरी | Samajhdari Messages Whatsapp Status In Hindi

Samajhdari Shayari Messages Whatsapp Status In Hindi

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जो आपने दिल से बात करता हो उससे दिमाग से खेलना कोई समझदारी नहीं है। 

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समझदार इंसान स्थिर दिमाग से काम लेता है जबकि नासमझ दूसरों की  बातों पर क्रोधित होकर अपना ही नुकसान कर लेता है।

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दोस्त की गलती में भी उसका साथ देना ये समझदारी नहीं ये दोनों के लिए ही हानिकारक है।

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समझदारी किसी के साथ चालाकी का नाम नहीं है समझदार तो वो है जो हर परिस्थिति में साथ देता है और जीवन में सुधार करता है।

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समझदार वो नहीं होता जो बड़ी बड़ी बातें करता है समझदार वो है जो छोटी छोटी बातें समझता है।

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किसी की मज़बूरी का फायदा उठाना कोई समझदारी नहीं यह एक मूर्खता की निशानी है।

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कोई अगर पत्थर फेंके तो उससे अपना आशियाना बना लेना ही समझदारी है।       

 

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Waqt Par Shayari Messages Whatsapp Status In Hindi

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वक्त पर शायरी कोट्स | Waqt Par Shayari Messages Whatsapp Status In Hindi

Waqt Par Shayari Messages Whatsapp Status In Hindi

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जिस प्रकार रात बीत जाने पर एक नयी सुबह कर उदय होता है उसी प्रकार संघर्ष का वक़्त बीतने के बाद सफलता का मार्ग खुल जाता है जरुरत है सही दिशा और निरंतरता की।

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वक्त तभी अच्छा आएगा जब सच्चे हृदय से सही दिशा में आस्था एवं विश्वास के साथ किया जाये , भगवान हमेशा आपके साथ है।

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मत करना अपमान किसी का बुरे वक्त में क्योँकि जब वक्त बदलता है तो वह व्यक्ति आगे बढ़ जायेगा लेकिन अपमान करने वाले का क्षय निश्चित है ।

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कभी किसी की आर्थिक स्थिति का मजाक न बनायें  क्योंकि जब वक्त बदलता है तो रंक भी राजा और राजा भी रंक बन जाता है। 

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वक्त को कोई नहीं खरीद सकता चाहे वो कितना भी धनवान क्यों न हो।

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समझदार वो नहीं  जो पैसा आने  पर दूसरों को नीचे दिखाने का प्रयास करता है

समझदार वो है जो हर स्थिति में समता में रहता है और अपनी उन्नति के साथ दूसरों  की उन्नति में सहायक है।

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ज्ञानी व्यक्ति को भी समझाया जा सकता है , अज्ञानी व्यक्ति को भी समझाया जा सकता है लेकिन मूर्ख व्यक्ति को सिर्फ वक्त ही समझाता है।

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अच्छाई भले ही अदृश्य है लेकिन आपका एक अच्छा कर्म लोगों के दिलों में आपके प्रति सम्मान का भाव पैदा करता है।

संस्कृत श्लोक हिंदी अर्थ सहित। Motivational Quotes Shloka In Sanskrit

Motivational Quotes Shloka In Sanskrit

Truth Quote In Sanskrit

सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् ब्रूयात् सत्यमप्रियं। प्रियं नानृतं ब्रूयात् एष धर्मः सनातनः॥

सत्य बोलें, प्रिय बोलें पर अप्रिय सत्य न बोलें और प्रिय असत्य न बोलें, ऐसी सनातन रीति है ॥

Murkh Quote In Sanskrit

मूर्खस्य पञ्च चिन्हानि गर्वो दुर्वचनं तथा। क्रोधश्च दृढवादश्च परवाक्येष्वनादरः॥

मूर्खों के पाँच लक्षण हैं – गर्व, अपशब्द, क्रोध, हठ और दूसरों की बातों का अनादर॥

उद्यमेनैव हि सिध्यन्ति,कार्याणि मनोरथै। हि सुप्तस्य सिंहस्य,प्रविशन्ति मृगाः॥

प्रयत्न करने से ही कार्य पूर्ण होते हैं, केवल इच्छा करने से नहीं, सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं।

अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च। पराक्रमश्चबहुभाषिता दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥

आठ गुण पुरुष को सुशोभित करते हैं – बुद्धि, सुन्दर चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता ।

क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं साधयेत् क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्॥

क्षण-क्षण विद्या के लिए और कण-कण धन के लिए प्रयत्न करना चाहिए। समय नष्ट करने पर विद्या और साधनों के नष्ट करने पर धन कैसे प्राप्त हो सकता है ।

गते शोको कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत् वर्तमानेन कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः॥

बीते हुए समय का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य के लिए परेशान नहीं होना चाहिए, बुद्धिमान तो वर्तमान में ही कार्य करते हैं ।

उदये सविता रक्तो रक्त:श्चास्तमये तथा। सम्पत्तौ विपत्तौ महतामेकरूपता॥

उदय होते समय सूर्य लाल होता है और अस्त होते समय भी लाल होता है, सत्य है महापुरुष सुख और दुःख में समान रहते हैं ।

व्यायामात् लभते स्वास्थ्यं दीर्घायुष्यं बलं सुखं। आरोग्यं परमं भाग्यं स्वास्थ्यं सर्वार्थसाधनम्॥

व्यायाम से स्वास्थ्य, लम्बी आयु, बल और सुख की प्राप्ति होती है। निरोगी होना परम भाग्य है और स्वास्थ्य से अन्य सभी कार्य सिद्ध होते हैं ।

विदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति: परलोके धनं धर्म शीलं सर्वत्र वै धनम्॥

विदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में धर्म धन है और शील सर्वत्र ही धन है ।

अभिवादनशीलस्य नित्यं वॄद्धोपसेविनः चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्

विनम्र और नित्य अनुभवियों की सेवा करने वाले में चार गुणों का विकास होता है – आयु, विद्या, यश और बल ।

धॄतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्

धर्म के दस लक्षण हैं – धैर्य, क्षमा, आत्म-नियंत्रण, चोरी न करना, पवित्रता, इन्द्रिय-संयम, बुद्धि, विद्या, सत्य और क्रोध न करना ।